मौजूदा दौर में मीडिया की बदल गई हैं प्रतिबद्धताएं - एसपी सिंह बघेल
स्वतंत्रता आदोलन में पत्र-पत्रिकाओं व पत्रकारों के योगदान पर चर्चा आगरा जर्नलिस्ट क्लब के माध्यम से एक संगोष्ठी का आयोजन डॉ. बीआर आंबेडकर विवि के संस्कृति भवन में किया गया। जिसमे 'स्वतंत्रता आदोलन में पत्रकारों के योगदान' विषय पर बोलते हुए मुख्य अतिथि भारत सरकार में विधि एवं न्याय राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने कहा कि
स्वतंत्रता के दौर में पत्रकार वैचारिक रूप से समृद्धशाली थे। ब्रितानिया हुकूमत में सूरज नहीं डूबता था, उसके खिलाफ पत्रकारिता की। यह जानते भी विषम परिस्थितियो में पत्रकारिता की कि पद्मश्री नहीं मिलनी है। आज तो बहुत ग्लैमरस है पत्रकारिता । तब पैसे का महत्व नहीं था।
प्रथम सूचना पत्रकारों की होती है-
उन्होंने कहा कि दूसरे खंबों में घुन लगता है तो मीडिया वाला खंबा इंगित करता है। आपकी एक खबर पर न्याय मिलता है। ब्रेकिंग न्यूज पूरे देश में जाती है। मीडिया ट्रायल इतना हो जाता है कि पुलिस को चार्जशीट लगानी पड़ती है। जब मीडिया के हाथ में अपराधी आता है तो सरकारों को निर्णय लेना पड़ता है। प्रथम सूचना पत्रकारों की होती है। एलआईयू जानकारी भेजते हैं। एलआईयू के पास स्टाफ कम है, आपके पास स्टाफ अधिक है।
आगरा के क्रांतिकारी पत्रकारों को किया नमन
अपने संबोधन में प्रो. एसपी सिंह बघेल ने स्वतंत्रता आंदोलन में आगरा के पत्रकारों के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि 1852 में मुंशी सदासुखलाल ने साप्ताहिक पत्र बुद्धि प्रकाश निकाला, उसकी भाषा परिस्कृत खड़ी बोली थी। 1855 में ही शिवनारायण ने सर्वहितकारक पत्र, पं. वंशीधर ने हिन्दी-ऊर्दू का पत्र भारत खंडामृत, राजा लक्ष्मण सिंह ने अभिज्ञान शाकुन्तल आदि अनेकों पत्र-पत्रिकाएं आगरा से प्रकाशित हुई। प्रो. बघेल ने कहा कि आजादी की लड़ाई लड़ने वाले महान क्रांतिकारियों के योगदान इसलिए सफल हुए, क्योंकि उस में राष्ट्रभक्त ऋषियों की मौन साधना और में कोई विकृति आती है, उसे दूर करने का कार्य पत्रकार ही अपनी कलम के भी माध्यम से करता है।
गांधी जी ने नमक उठाया और अखबार ने प्रकाशित किया तो पूरे देश ने जाना
प्रो. बघेल ने कहा कि 1857 में आजादी की लड़ाई शुरू हुई और पाने में 90 साल लग गए। भले ही असफल हो गए लेकिन बीज 1857 में बोया गया था। गांधी जी ने एक मुट्ठी नमक उठाया और अखबार ने प्रकाशित किया तो पूरे देश ने जाना। भगत सिंह का विचार पत्रकारिता के माध्यम से आम जनता तक पहुंचा कि हम आजादी क्यों चाहते हैं। बरहन से तीन किलोमीटर दूर यादव गढ़ है। वहां के वीरों ने सफाई का काम करके आगरा किला में यूनियन जैक के स्थान पर तिरंगा फहराया था। यह घटना कितने लोगों को मालूम है। रामबारात निकल रही थी तो रोशनलाल गुप्त करुणेश ने कलक्टर पर बम फेंक दिया।
सुनाया अपना अनुभव
प्रो. बघेल ने अपना अनुभव सुनाते हुए बताया कि हम अपना समाचार खुद ही लिखते थे। 29 जुलाई, 1993 की पहली प्रेस वार्ता में फोटो खिंचवाने के लिए खादी भंडार से काली जैकेट उधार ली थी। फोटोग्राफर नहीं था। खुद ही फोटो खींचकर देनी होती थी। आज वर्क फ्रॉम हो गया है।
संगोष्ठी को इन्होंने ने भी किया संबोधित-
संगोष्ठी की भूमिका मधुकर चतुर्वेदी ने रखी। संगोष्ठी की अध्यक्षता विवि के पर्यटन संकाय के निदेशक प्रो. लवकुश मिश्रा ने की। संगोष्ठी को वरिष्ठ पत्रकार आदर्शनंदन गुप्त, डॉ. भानुप्रताप सिंह, डॉ. महेश धाकड़ ने भी संबोधित किया। अतिथियों का स्वागत पत्रकार एसपी सिंह दीपक राठौर, रमाकांत ने किया। धन्यवाद पत्रकार वीरेंदर चौधरी ने किया तथा संचालन वरिष्ठ पटका सज्जन सागर ने किया।
संगोष्ठी के बाद निकली तिरंगा यात्रा -
प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार प्रो० एस पी सिंह बघेल ने तिरंगा यात्रा हो हरी झंडी दिखा क्र शुरू किया। एस अवसर पर उन्होंने खुद मोटर साइकिल पर सवार होकर शहीद स्मारक पहुंच। तिरंगा यात्रा में में तमाम पत्रकार साथियों ने भाग लिया। यात्रा में सभी वीर शहीदों एवं भारत माता जी जय जैसे गगभेदी के नारे लगा। इस अवसर पर तिरंगा यात्रा जहां जहां से निकली वहा का माहौल देश भक्ति माय हो गया।
शहर के गणमान्य नागरिक एवं पत्रकार रहे उपस्थिति
संगोष्ठी में पत्रकारों में विवेक जैन, शरद गुप्ता, शशि शर्मा, जफर खान, यतीश लवानियां, नागेंद्र त्यागी, मानवेंद्र मल्होत्रा, हर्षदत्त शर्मा, आचार्य शिशुपाल, अनुपम पांडे, फरूख खान, आरबी तोमर, अर्जुन सिंह, प्रवीन संदीप श्रीवास्तव, नरेंद्र बुलबुल, गौरव कुशवाह, राजीव कुलश्रेष्ठ, राहुल राजपूत, गीता, सत्यवीर सिंह, विशाल, गौरव मुदगल, एवं गणमान्य नागरिकों में मनमोहन निरंकारी, गौरव शर्मा, नवीन गौतम, दिगंबर सिंह धाकरे, सागर चतुर्वेदी, आदि उपस्थित रहे।