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फोटो - इंटनेट

जी-7 शिखर सम्मेलन 2025 इज़राइल-ईरान संकट के वैश्विक व्यवस्था पर प्रभाव 

नरेन्द्र शर्मा परवाना

कनाडा में आयोजित जी- 7 शिखर सम्मेलन 2025 विश्व में शांति, वैश्विक सहयोग और नेतृत्व का एक महत्वपूर्ण अवसर था। किंतु, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की अचानक वापसी और इज़राइल-ईरान-गाज़ा संकट पर जी - 7 नेताओं के मतभेदों ने कई प्रश्न खड़े किए। क्या यह संघर्ष वैश्विक एकता के लिए खतरा है? तेल आपूर्ति में रुकावट से विश्व अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा? ट्रम्प के फ्रांस और रूस पर आरोपों के भू-राजनीतिक परिणाम क्या होंगे?

 जी-7 देश और उनके दृष्टिकोण 

जी 7 में संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, संयुक्त अधिराज्य, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान शामिल हैं। इस शिखर सम्मेलन में इज़राइल-ईरान संकट प्रमुख मुद्दा रहा। संयुक्त राज्य अमेरिका ने शुरू में मध्य पूर्व में तनाव कम करने वाले संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया, किंतु अंततः सहमति दी। इस बयान में इज़राइल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया गया, साथ ही ईरान को क्षेत्रीय अस्थिरता का कारण बताया गया। फ्रांस, जर्मनी और संयुक्त अधिराज्य ने कूटनीति और तनाव कम करने पर बल दिया, जबकि इज़राइल के सैन्य अभियानों का समर्थन सावधानीपूर्वक किया। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने स्पष्ट कहा कि शासन परिवर्तन की कोशिश रणनीतिक भूल होगी। मेजबान कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने तटस्थता बनाए रखने का प्रयास किया, जबकि जापान और इटली ने मध्यस्थता का समर्थन किया। यूक्रेन और रूस के मुद्दे पर भी मतभेद उभरे, क्योंकि ट्रम्प ने रूस को जी- 8 में पुनः शामिल करने की वकालत की।

आर्थिक प्रभाव और तेल आपूर्ति में व्यवधान 

इज़राइल-ईरान तनाव के कारण होर्मुज जलडमरूमध्य में तेल टैंकरों को जोखिम बढ़ गया है। तेल आपूर्ति में रुकावट से जापान, दक्षिण कोरिया, भारत और यूरोपीय देशों जैसे तेल आयात पर निर्भर राष्ट्रों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। तेल कीमतों में वृद्धि से वैश्विक मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, जिससे जी 7 देशों की अर्थव्यवस्थाएँ प्रभावित होंगी। विशेष रूप से, ऊर्जा आयात पर निर्भर जापान और जर्मनी को आपूर्ति श्रृंखला में रुकावट का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, ट्रम्प की व्यापार नीतियाँ, जैसे आयात शुल्क, वैश्विक व्यापार को प्रभावित कर रही हैं, जिससे आर्थिक अनिश्चितता बढ़ रही है।

ट्रम्प की वापसी और फ्रांस-रूस पर आरोप 
ट्रम्प की शिखर सम्मेलन से शीघ्र वापसी और फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के युद्धविराम प्रस्ताव की आलोचना ने जी 7 की एकता पर प्रश्नचिह्न लगाए। ट्रम्प ने मैक्रों के प्रस्ताव को "संकीर्ण सोच" करार दिया और रूस को जी-8 में शामिल करने की वकालत की, जिससे यूरोपीय सहयोगियों में असहजता उत्पन्न हुई। यह कदम वैश्विक नेतृत्व में अमेरिका की विश्वसनीयता को कमज़ोर कर सकता है, जिससे भविष्य में जी-7 के भीतर सहयोग चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

कूटनीति को प्राथमिकता

जी-7 शिखर सम्मेलन 2025 ने वैश्विक एकता की कमी को उजागर किया, विशेष रूप से इज़राइल-ईरान संकट और ट्रम्प की नीतियों के कारण। लेखक का मानना है कि यह संकट वैश्विक शक्ति संतुलन को पुनः स्थापित करने का अवसर हो सकता है, बशर्ते कूटनीति को प्राथमिकता दी जाए। तेल आपूर्ति में व्यवधान और व्यापार युद्धों से बचने के लिए जी-7 को एकजुट होकर वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों और कूटनीतिक समाधानों पर ध्यान देना होगा। विश्व शांति और समृद्धि के लिए जी-7 देशों को मतभेदों को दरकिनार कर कूटनीति और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए।  

महावाक्य 
वैश्विक शांति और आर्थिक स्थिरता के लिए जी-7 को मतभेदों को परे रखकर कूटनीति और सतत विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। (विनायक फीचर्स)

नरेन्द्र शर्मा परवाना

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