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आगरा में ही किया था स्वामी श्रद्धानन्द ने आंदोलन का सूत्रपात,जानते है कौन हैं श्रद्धानन्द?

श्रद्धानन्द ने गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को अपनाने पर दिया बल दो दिवसीय स्वामी श्रद्धानन्द के बलिदान दिवस समारोह की हुई शुरुआत

आगरा : स्वामी श्रद्धानन्द ने आगरा के मालखाने राजपूतों को स्वधर्म में वापस लेकर आने को महान आंदोलन का सूत्रपात किया। उन्होंने अछूतोद्धार एवं शुद्धि आंदोलन से देश की अमूल्य सेवा की। इस कार्य से कुछ सांप्रदायिक लोग उनसे नाराज हो गए और 23 दिसंबर 1926 को एक मतान्ध सांप्रदायिक ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। ये कहना था जिला आर्य प्रतिनिधि सभा और आर्य समाज राजा की मंडी के संयुक्त तत्वावधान में राजा की मंडी स्थित होटल श्याम पैलेस में आयोजित अमर शहीद स्वामी श्रद्धानन्द के 96वें बलिदान दिवस समारोह में पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार के प्रतिकुलपति आचार्य डॉ. महावीर अग्रवाल का । 

उन्होंने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद से स्वराज्य हासिल करने, देश को अंग्रेजों की दासता से मुक्ति दिलाने, दलितों को उनका अधिकार दिलाने और पश्चिमी शिक्षा की जगह संस्कारित गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को अपनाने पर बल दिया। 
भजनोपदेशिका सुदेश आर्या ने कहा कि सूर्य की लालिमा तभी दिखाई देती है, जब हम सिर उठाकर जीते है। मानव जन्म से नहीं, बल्कि कर्मो से महान बनता है। उन्होंने अपने भजन "स्वामी श्रद्धानन्द प्यारा है...., ये आर्य समाज सभी जग में वेदो का नाद गुंजायमान..., जब उसका कोई रूप नहीं है किसको भोग लगाऊं..., आर्यो के हो तुम हो प्राण ऋषि दयानन्द " आदि भजनों से आर्यजनो को भाव विभोर कर दिया। भजनों के माध्यम से स्वामी श्रद्धानंद जी के महान कार्यों का गुणगान किय। इससे पूर्व प्रातः 8 बजे से 21 कुण्डीय यज्ञ आचार्य सोम प्रकाश दीक्षित ने संपन्न कराया। संचालन प्रधान आर्य सत्यदेव गुप्ता ने किया। 

ये रहे मौजूद
इस अवसर पर मंत्री राजीव दीक्षित, कोषाध्यक्ष विजय अग्रवाल, देव प्रकाश शर्मा, डॉ. संजय कमठानिया, सीए मनोज खुराना, वीरेन कनवर, राम निवास भारद्वाज, नीलम दीक्षित, निधि कमठानिया,  राजकुमारी सिंघल, आनंद शर्मा, सुभाष अग्रवाल, डॉ. राम प्रसाद, सुधाकर गुप्ता, रमेश चंद्र आर्य, ब्रज राज सिंह परमार, भुवनेश कुलश्रेष्ठ, अवनीश गुप्ता, रामप्रकाश गुप्ता  आदि मौजूद रहे।

आज मिलेगी आर्य रत्न की उपाधि
आर्य समाज राजा मंडी के मंत्री राजीव दीक्षित ने बताया कि रविवार को पुनः 21 कुण्डीय यज्ञ, सत्संग और भजनो से समारोह वैकुण्ठ धाम बन जायेगा। आज आर्य समाज पर सम्पूर्ण जीवन नौछावर करने पर मरणोपरांत इस वर्ष की आर्य रत्न की उपाधि का सम्मान भी दिया जायेगा।
इन शाखाओ का रहा सहयोग
नगर समाज फ्री गंज, राजा मंडी, कमला नगर, जयपुर हॉउस, इंद्रा कॉलोनी, शाहगंज, बालाजीपुरम, विभव नगर, ताजगंज, हींग की मंडी, नामनेर, आवास विकास सिकंदरा, नाई की मंडी, शमशाबाद, महिला समाज शमशाबाद, फतेहाबाद, बाह, जरार, फरेरा, महुआखेड़ा, धिमश्री, किरावली, जगनेर, एत्मादपुर, समोगर, गाढ़ी जस्सा, बरारा, मदरा, इरादतनगर, गोविन्दपुरी भावना स्टेट और बिचपुरी ने समारोह में अपना सहयोग दिया।
कौन थे स्वामी श्रद्धानन्द
पंजाब के जालंधर जिले के गांव तलवन में पिता नानकचंद के घर 22 फरवरी, 1856 को जन्मे मुंशीराम नामक एक बच्चें किलकारी गूंजी। बाद में इसी किलकारी ने स्वामी श्रद्धानन्द बनकर समस्त धर्म और देशद्रोहियों की नींद उड़ाकर रख दी। अपने प्रयासों से जालंधर में पहला कन्या महाविद्यालय और हरिद्वार के पास ग्राम कांगड़ी में गुरुकुल की स्थापना कर दी ।

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