Home Gallery Join Us E-Paper About Contact Us
image
फोटो

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष-महिला सशक्तिकरण के बिना राष्ट्र की उन्नति की कल्पना निरर्थक

डॉ मुन्नालाल भारतीय (समाजसेवी)

आज भी महिलाओं के प्रति समाज की संकीर्ण मानसिकता के कारण आए दिन महिलाएं उत्पीड़न, हत्या, बलात्कार तथा आत्महत्या जैसे अपराध की शिकार होती हैं। महिलाओं के प्रति संकीर्ण सोच के कारण महिलाओं के साथ आए दिन होते ऐसे अपराधों के खिलाफ आवाज उठाने की जहमत उठाना भी समाज के रक्षक जरूरी नहीं समझते । हमारे देश की बागडोर संभालने वाली देश की प्रथम महिला नागरिक महामहिम राष्ट्रपति भी एक महिला हैं वरन् हमारे देश में अनेक ऐसी महिलाएं हैं जो भारतीय शासन में सम्माननीय पदभार संभाल रही हैं फिर भी ज़्यादातर महिलाएं आज हर कदम पर खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं।

महिलाओं की निरक्षरता: इसका एक प्रमुख कारण है अधिकांशतः महिलाओं की निरक्षरता। दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि हमारे समाज में बेटियों की शिक्षा पर अधिक जोर नहीं दिया जाता यही कारण है कि महिलाएं अपने अधिकारों तथा कर्तव्यों से अधिकतर अनभिज्ञ हैं । महिलाओं की निरक्षरता महिलाओं के सामाजिक व नैतिक दोनों ही विकास में बहुत बड़ी बाधा है। जबकि संविधान के अंतर्गत महिलाओं को पुरुषों के ही समान, अधिकार तथा कर्तव्य दिए गए हैं ।

संयुक्त राष्ट्र के महाधिवेशन: इसके अतिरिक्त 18 दिसंबर 1979 को संयुक्त राष्ट्र के महाधिवेशन में स्त्री विरोधी सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने की संविदा को भी स्वीकार किया गया था स्त्रियों के लिए समान अधिकारों के लक्ष्य की संप्राप्ति की दिशा में उठाया गया यह एक महत्वपूर्ण कदम था। इस स्त्री विरोधी भेदभाव के उन्मूलन संविदा के अंतर्गत 30 अनुच्छेदों का निर्माण किया गया है संविदा के अनुच्छेद 11 के अंतर्गत स्वतंत्र रूप से वृत्ति और रोजगार चुनने का अधिकार, समान प्रोन्नति, रोजगार, सुरक्षा सेवा, शर्तों और लाभ का अधिकार तथा भुगतान अवकाश सहित विशेष मामलों में सेवानिवृत्ति, बेरोजगारी, बीमारी, असमर्थता, बुढ़ापा और कार्य क्षमता व अन्य स्थितियों में सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा का अधिकार भी प्रदान किया गया है ।
परंतु फिर भी आए दिन महिलाओं के साथ मारपीट, हत्या, शारीरिक शोषण, लूट तथा छोटी बच्चियों किशोरियों के साथ बलात्कार आदि जैसी वारदातों को अंजाम दिया जाता है यहां तक कि अन्य देश से आई महिला पर्यटकों तक के साथ इस प्रकार की घिनौनी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है यह काफी शर्मनाक है कि इस प्रकार की घटनाओं से विदेशों में हमारे देश की छवि की कैसी तस्वीर सामने आती होगी ।

जिस देश में स्त्री को लक्ष्मी, सीता तथा जगत जननी के रूप में पूजा जाता है और संस्कारों तथा रीति-रिवाजों को राष्ट्रीय की पहचान कहा जाता है उसी देश में स्त्रियों की इतनी निम्न दशा है स्त्रियां खुद को इतना असुरक्षित महसूस करती हैं। यह सब भ्रष्टाचार का ही परिणाम है भ्रष्टाचार हमारे देश को धीरे-धीरे खोखला कर रहा है एक ओर वर्तमान समय में हमारे समाज में महिलाएं स्वाबलंबी वह आत्मनिर्भर हो रही हैं परंतु उससे कहीं ज्यादा स्त्रियों का उत्पीड़न बढ़ रहा है ।

अगर समाज में महिलाओं की यही स्थिति रही तो उसी प्रकार एक समय वह भी आ सकता है जब स्त्री खुद पर हुए अन्याय अत्याचार के बदले के लिए तथा न्याय न मिलने के कारण अपराध की दुनिया में खुद को लिप्त कर ले जिससे भारत की नारी होने के गौरव पर सवालिया निशान लगे। ईश्वर की अनोखी रचना है नारी कभी बेटी कभी बहू तो कभी मां का फर्ज निभाती है, यह नारी ही तो है जो घर को स्वर्ग बनाती है। प्रेम, करुणा और त्याग से भरी इस नारी ने संसार को इतना कुछ कर दिखाया है, केवल घर परिवार ही नहीं राज्य और देश भी इसने चलाया है। आज के उन्नति भरे युग में भी ज्यादातर महिलाओं की स्थिति इतनी बेकार है, कि बलात्कार घरेलू हिंसा दहेज उत्पीड़न जैसे अन्य कई अपराधों की शिकार हो रही हैं महिला सशक्तिकरण के बिना राष्ट्र की उन्नति की कल्पना निरर्थक है। स्त्री से ही यह संसार चला है स्त्री से ही तो संसार में लोगों को जन्म मिला है, फिर भी स्त्रियों पर अत्याचार करने वाला पुरुष यह भूल जाता है कि उसी स्त्री की गोद में वह भी पला है। आज की नारी ने अपनी मेहनत और साहस से पा लिया हर मुकाम है, ऐसी नारी को पूरा विश्व करता सलाम है ।

रानी लक्ष्मी बाई:-रानी लक्ष्मी बाई जैसी महिला ने देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए कंधा से कंधा मिलाकर आजादी की लड़ाई लड़ी और अंग्रेजों को मुंह की खाने पर मजबूर किया। परंतु आज अपने देश में ऐसे भेड़िए पैदा हो रहे हैं जिससे हमारे देश की महिलाओं के साथ दुष्कर्म व अत्याचार करने से बाज नहीं आते हैं। इससे आजिज आकर ही महिला अपराध की दुनिया में कदम रखती हैं गौरतलब है कि दस्यु सुंदरियों जैसी कई महिलाओं ने अपने परिवार सहित बाहुबलियों व भ्रष्टाचारियों के उत्पीड़न की शिकार हुई तथा उत्पीड़न की परिस्थितियों से आजिज आकर ही मजबूरीवश उन्होंने शस्त्र उठाए और अपराध की दुनिया में कदम रखा। रानी लक्ष्मीबाई जिन्होंने अंग्रेजों के शोषण से बचने के लिए शस्त्र उठाए और युद्ध भूमि के मैदान में उतर कर अंग्रेजों से लोहा लिया और उन्होंने समाज में अपनी एक सशक्त पहचान भी बनाई है उन्हीं की प्रेरणा से कुछ फ़ीसदी महिलाएं भी अपनी सशक्त पहचान बनाने में कामयाब हुई हैं तथा प्रयासरत भी है। यह कहना अनुचित नहीं होना चाहिए कि राष्ट्र की उन्नति महिलाओं के सशक्तिकरण पर भी निर्भर करती है।

 

Post Views: 453

यह भी पढ़ें

Breaking News!!