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ग्लूटेन फ्री डे (13 जनवरी) पर विशेष - खाना न पचे या बार-बार डायरिया होने पर हो जाएं सचेत

हो सकता है ग्लूटेन डिसऑर्डर, मोटे अनाज को खाने में करें शामिल

आगरा,-बार-बार डायरिया की शिकायत होती हो, या पेट में अपच रहती हो तो यह ग्लूटेन डिसऑर्डर हो सकता है। लोगों को इसके प्रति जागरुक करने के लिए हर वर्ष 13 जनवरी को ग्लूटेन फ्री डे मनाया जाता है।

जिला अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र की डायटिशियन ललितेश शर्मा ने बताया कि बच्चे या वयस्क किसी को भी ग्लूटेन डिसऑर्डर हो सकता है। इसे सिलिएक रोग भी कहा जाता है। यह रोग 100 में से दो लोगों को होता है। यह रोग होने पर आंतों में छोटे-छोटे घाव हो जाते हैं। इसके कारण खाना नहीं पचता है। इसके कारण उल्टी आना, दस्त होना, पेट दर्द होना, डायरिया होना जैसे लक्षण सामने आते हैं। बच्चों में इसके कारण ग्रोथ भी रुक जाती है।

डायटिशियन ललितेश ने बताया गेहूं, सूजी, आटा मैदा में ग्लूटेन पाया जाता है। सिलिएक रोग में ग्लूटेन नहीं लिया जाता है। ऐसे में गेहूं के अलावा बाजरा, मक्का, मकई, चावल आदि भी खाने की सलाह दी जाती है। ललितेश ने बताया कि केवल गेहूं को ही खाना न समझे, इसके अलावा फलों व अन्य चीजों को भी खाने में शामिल करना चाहिए। इसके साथ ही दही व छाछ को भी खाने में शामिल करना चाहिए। इनमें प्रोबायोटिक होते हैं, जिससे खाना पचाने में आसानी होती है।

डायटिशियन ललितेश ने बताया कि सिलिएक रोग के लक्षण दिखने पर टीटीजी (टिश्यू ट्रांस ग्लूटामिनेज) टेस्ट कराना चाहिए। टेस्ट में यह 15 से ज्यादा हो तो ग्लूटेन फ्री भोजन करना चाहिए।

  1.           ग्लूटेन डिसऑर्डर होने के लक्षण
  2. ·         उल्टी होना
  3. ·         दस्त होना
  4. ·         डायरिया होना
  5. ·         थकान होना
  6. ·         जी मचलाना
  7. ·         पेट दर्द होना
  8. ·         खाना न पचना

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