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अंगदान के लिए  मेडिकल कॉलेज में खुले अलग विभाग और एक लोकल एप के जरिए हो निशुल्क पंजीकरण 

प्राकृतिक मृत्यु पर कॉर्निया, हड्डी और त्वचा के ऊतकों को दान कर सकते हैं। हृदय, आंत, गुर्दे और फेफड़े जैसे अंगों को मस्तिष्क की मृत्यु के मामले में दान कर सकते हैं।

आगरा - विश्व अंगदान दिवस के अवसर पर यमुना आरती स्थल पर अंगदान को बढ़ाने हेतु एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया कहते हैं आत्मा अमर और अजर होती है और यह शरीर नश्वर है यह तो जलने के बाद मिट्टी में मिल जाना है तो ऐसे में ईश्वर द्वारा दिया गया यह शरीर क्यों नहीं ईश्वर के बनाए गए अन्य मानवों के काम में ही लाया जाए ऐसा सभी बुद्ध जीवियों का अब मानना है अंगदान को लेकर तमाम पाश्चात्य देशों में बहुत ही लोग सक्रिय दिख रहे हैं इसके पीछे परिजन ,सामाजिक संस्थाएं और हॉस्पिटल का एक बहुत बड़ा सहयोग है जोकि ब्रेन डेड मरीज़ के परिजनों को न केवल समझाता है बल्कि उन्हें प्रोत्साहित  करके दूसरे जरूरतमंद मरीज में अंग दान करके अपने परिजन को उस मरीज़ में दिखवाता है भारत भी अब अंगदान करने में पीछे नहीं है आज साउथ इंडिया के तमिलनाडु राज्य में यह बहुत तेजी से अंगदान किया जा रहा है इसी प्रकार डोनेट लाइफ नामक संस्था जो सूरत स्थित है वह भी हजारों लोगों को रोटो सोटो और नोटों (NOTTO, ROTTO & SOTTO) के माध्यम से हज़ारों अंग का प्रत्यारोपण कर चुकी है हालांकि अभी नॉर्दर्न इंडिया में इसका जानकारी के अभाव में दान कम है ।भारत में पंजीकृत अंगदाताओं की संख्या 3 प्रतिशत है।

परंतु रिवर कनेक्टिंग कैंपियन लोकस्वर  संस्था व गोल्डन एज द्वारा आज यमुना आरती स्थल पर अंगदान दिवस की परिचर्चा में तीन बातों को करने का सहमति हुई है पहले हमें यह नारा देना चाहिए 
जीते जी रक्त दान ब्रेन डेड तो अंग दान मरने पर देह यही है तभी है नश्वर शरीर का उपयोग, दूसरा सामाजिक संस्थाएँ और अस्पतालों को धीरे-धीरेअंगदान और देहदान और आंख दान में फर्क बताना चाहिए और यह बताना चाहिए कि जो आपका परिजन वेंटिलेटर पर व्यक्त अवस्था में है तो  उसके अंगों का दान करके ९-१२ मरीज को लाभ पहुंचाया जा सकता है । प्राकृतिक मृत्यु पर कॉर्निया, हड्डी और त्वचा के ऊतकों को दान कर सकते हैं।
हृदय, आंत, गुर्दे और फेफड़े जैसे अंगों को मस्तिष्क की मृत्यु के मामले में दान कर सकते हैं।
 आज डॉक्टर हरेंद्र गुप्ता और डॉक्टर देवाशीष भट्टाचार्य  वरिष्ठ पत्रकार ब्रज खंडेलवाल जी ने उपस्थित जन समूह को ना केवल विस्तृत जानकारी दी ।बल्कि उन लोगों में भी अंगदान या देहदान या आंख दान के विषय में प्रोत्साहित करते हुए दिल व दिमाग़ में अंकुरित प्रफुल्लित किया  है ।उन्होंने बताया कि प्राकृतिक मृत्यु पर कॉर्निया, हड्डी और त्वचा के ऊतकों को दान कर सकते हैं।
हृदय, आंत, गुर्दे और फेफड़े जैसे अंगों को मस्तिष्क की मृत्यु के मामले में दान कर सकते हैं।
अंगदान से जुड़ी जो भ्रांतियाँ है -
महिलाओं के अंग पुरुषों में प्रत्यारोपण नहीं हो सकते। यह परिचर्चा के बहुत ही जल्दी दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे ।लोकस्वर संस्था व गोल्डन एज ,रिवर कनेक्टिंग कैंपियन और यमुना आरती से जुड़े हुए समस्त यमुना प्रेमियों का न केवल हृदय से आभार प्रकट करती है बल्कि ऐसा विश्वास रखती है कि यह जनसमूह ऐसा जन समूह है जो धीरे-धीरे न केवल आगरा मंडल में बल्कि उत्तर भारत में भी अंगदान हेतु सोशल मीडिया मीडिया व आपसी चर्चा करके इसे प्रचारित ही नहीं अंगदान के लिए प्रोत्साहित करेगा। 

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