स्व0 डॉ रांगेय राघव जी के जन्मशती वर्ष की पूर्व संध्या पर आगरा राइटर्स एसोसिएशन के तत्वाधान में हुआ विचार गोष्ठी का आयोजन
आगरा एम जी रोड स्थिति नागिरी प्रचारिणी में आगरा राइटर्स एसोसिएशन के तत्वाधान में स्व डॉ रांगेय राघव जी के जन्म शती वर्ष के अंतर्गत 12 सितंबर उनकी पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर उनकी स्मृति में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया ।
जिसकी अध्यक्षता सुरेंद्र वर्मा सजग जी ने की और संचालन डॉ अनिल उपाध्याय ने किया और वरिष्ठ वक्ता केंद्रीय हिंदी संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो रामवीर सिंह जी और मुख्य वक्ता आगरा कॉलेज के डॉ त्रिमोहन तरल जी रहे। मुख्य अतिथि श्री महेश शर्मा जी रहे। धन्यवाद ज्ञापन संरक्षक डॉ अशोक विज ने दिया ।
गोष्ठी में सरस्वती वंदना श्रीमति साधना वैद जी ने सुमधुर स्वर में प्रस्तुत की ।
रमेश पंडित जी ने डॉ राघव के निजी जीवन पर प्रकाश डाला और जयपुर में रह रही उनकी बेटी सीमान्तनी का संदेश सुनाया । डॉ राघव ने अपने अल्प जीवन काल 39 वर्ष में ही 150 से अधिक पुस्तकें अलग अलग विधाओं में हिंदी , अंग्रेज़ी और ब्रजभाषा में लिखीं । 1962 में उनकी मृत्यु रक्त कैंसर से हुई।
डॉ तरल ने उन्हें प्रगतिशील लेखक कहा । वे किसी वाद की बंदिश में नहीं रहे । वर्ग , वर्ण ,धर्म किसी के लिए कोई विशेष लगाव नहीं रखा । वे मठाधीशों के विरोधी रहे । वे लेखन में सदैव स्पष्टवादी , सच्चे और ईमानदार थे।
डॉ शिखरेश तिवारी ने भी उनके शोध के विषय में जानकारी दी । उन्होंने बताया कि वे फक्कड़ और आदर्शवादी प्रकृति के थे।उनके द्वारा किये गए शेक्सपियर के नाटकों के अनुवाद अनुपम हैं। उनकी कहानी उपन्यासों में सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का वर्चस्व रहा है ।
डॉ रामवीर सिंह जी ने बताया कि वे इतने यथार्थवादी और संवेदनशील थे कि वे अपनी रचनाओं के द्वारा पाठक के अंतस में अपनी संवेदना उतार देते थे । बंगाल के अकाल पर उनका रिपोर्ताज़ उन्होंने वहीं जाकर प्रत्यक्ष देखकर लिखा । इसी तरह उन्होंने नारी विमर्श पर भी अपने समय से बहुत आगे की सोच दर्शायी है ।उनका लेखन शोषित और उपेक्षित समाज को समर्पित है । ऐसा लेखक सदियों में पैदा होता है ।
प्रमुख रूप से डॉ शेषपाल सिंह शेष,रजनीकांत लवानिया , प्रकाश गुप्ता बेबाक , रीता शर्मा ,नवीन वशिष्ठ ,नाहर सिंह शाक्य ,आभा चतुर्वेदी ,अलका अग्रवाल ,दीक्षा रिसाल ,साधना वैद एवं हास्य कवि दिनेश अगरिया आदि साहित्यकार मौजूद रहे।