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शोभायात्रा में शामिल पदाधिकारीगण

संत रविदास जी का 648 वां जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया कार्यक्रम

दुर्गेश व्यास

आगरा- कार्यक्रम का शुभारंभ बाबा प्रीतम दास जी गुरुद्वारा गुरु का ताल सिकंदरा आगरा द्वारा किया गया। जनपद के विभिन्न क्षेत्रों से लगभग 30 झांकियां सम्मिलित हुई ।                 संत रविदास जी के जीवन चरित्र उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए नैतिकता आधारित विभिन्न संदेशों को दर्शाते हुए उनके आदर्शों को चरितार्थ कर रही थी।

शोभायात्रा क्षेत्र बैंड बाजे नगाड़े ऑडियो वीडियो सहित कर्तव्य कला प्रदर्शन करते हुए रामनगर चौक शाहगंज से प्रारंभ होकर रुई की मंडी पंचकुइयां, राधावल्लभ, कोठी मीना बाजार , लोहा मंडी, जगदीशपुरा आदि मुख्य बाजार से होते हुए गढ़ी भदोरिया, स्थित संत रविदास मठ के बाबा ईश्वरीय नाथ वेदांत आश्रम पर झांकियां को पुरस्कृत सम्मानित कर भंडारे के साथ समाप्त किया । शोभा यात्रा में तक्षशिला फाउंडेशन, आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति, जाटव समाज जागृति संस्थान ,बीआर अंबेडकर चैरिटेबल ट्रस्ट ,बहुजन शिक्षक संघ, एससीएसटी बेसिक शिक्षक संगठन ,शिक्षक महासभा, जाटव महिला उत्थान परिषद, बुद्ध विहार विचार मंच, महिला विकास समिति ,दादा मानिकचंद जाटव  संस्थान, आदि संगठनों ने झांकियां लगाकर प्रतिभाग किया, नवयुवक प्रगति समिति घड़ी भदोरिया ने समापन किया।

कार्यक्रम में राज कुमार सिंह, किरण केसरी पूर्व प्रत्याशी,शारदा बोद्ध अध्यक्ष, अजेंद्र सिंह सूर्या उपाध्यक्ष, त्रिलोकचंद, कमल सचिव, रवि किरण किशोर मंत्री, उदयवीर, भारत सिंह, महेश चंद, सतीश चौधरी, रेणु वर्मा ,डॉक्टर आशा रानी, ममता ,संध्या, राजाराम ,आदि ने अपने विचार प्रकट किऐ। झांकियां के रास्ते में  जगह-जगह प्रसाद वितरण, खीर वितरण, एवं भंडारे का आयोजन  किया गया ।समिति अध्यक्ष श्रीमती शारदा ने अपने वक्तव्य में कहा कि संत रविदास जी के लोकप्रिय कथन   मन चंगा तो कठौती में गंगा, से उन्होंने समाज को पाखंड    अंधविश्वासों से दूर रहने का संदेश दिया। श्री अजेंद्र सिंह सूर्या ने संत रविदास जी की संपूर्ण जीवन समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर कर समानता और भाईचारा बनाए रखने में रहा उनके लोकप्रिय कथन  ऐसा चाहूं राज में ,जहां मिले सवन को अन्न छोट बड़ों  सब संघ बसें, रविदास रहे प्रशन्न, में समानता एवं भाईचारे की भावना है ।
समिति संरक्षण  पूरन सिंह ने रविदास जी के संदेश पराधीनता स्वावलंबी बनने को जीवन में लागू करने पर बल दिया।

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