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पार्षद जो भगवत आराधना के लिए बनते हैं सुदामा का स्वरूप 

आदर्श नंदन गुप्ता,

आगरा। नगर निगम, आगरा के एक पार्षद एसे भी है जो सुदामा की भूमिका करते है। जीवन यापन के लिए नहीं, केवल भगवत आराधना के लिए। उनका मानना है कि इस माध्यम से वे प्रभु की सेवा करते हैं।न्यू आदर्श नगर, बल्केश्वर निवासी हरिओम गोयल (बाबा) पिछली बार भी पार्षद थे और इस बार भी वे चुनाव जीत गये हैं। सुदामा चरित्र लीला दौरान वे सुदामा का स्वरूप बन कर अभिनय करते हैं। उन्होंने बताया कि सुदामा का यह भूमिका वे करीब 20 साल से कर रहे हैं। आगरा ही नहीं, मुंम्बई, दिल्ली, फरीदाबाद, धौलपुर, मनिया सहित कई नगरों में वे अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं। सुदामा के गीत के अलावा भागवताचार्य के सुदामा चरित्र के संवाद पर भावाभिनय भी वे प्रभावशाली करते हैं। प्रस्तुति का समय एक घंटे से आधे घंटे का रहता है।

हरिओम गोयल बताते हैं कि सुदामा की भूमिका के प्रस्तुति करण का वे किसी से कोई शुल्क नहीं लेते, बल्कि उस व्यक्ति के घर का पानी तक नहीं पीते। आने, जाने आदि का सारा व्यय वे अपने पास से ही करते हैं। मई में चुनाव के बाद भी दो स्थानों के लिए यह भूमिका करके आए हैं। धार्मिक प्रवृति के हरिओम बाबा दोनों नवरात्र में निराहार व्रत रखते हैं। इस दौरान वे चप्पल भी नहीं पहनते और सभी जगह नंगे पैर ही आते-जाते हैं। वर्ष 2016 में नवरात्र के दौरान उन्हें दिल्ली जाना पड़ा, वहां भी वे बिना चप्पल, जूते पहने ही गए। गंगे गौरी बाग, बल्केश्वर में होने वाली गोर्वधन पूजा में भी हर वर्ष पुजारी रहते हैं।

संघर्षशील जीवन के पथिक हरिओम गोयल बताते हैं कि उनके पिताजी सुनहरी लाल गोयल कपड़े की दुकान पर नौकरी करते थे। घर का खर्चा नहीं चल पाता था। अतः करीब सात साल तक वाटर वर्क्स चौराहा पर अखबार बेचा है। इसके लिए वे सुबह तीन बजे उठते और भगवान टाकीज सेंटर से अखबार लेते। उसके बाद घरों में बांटने भी जाते। इस दौरान फैक्ट्री में भी काम और पढ़ाई भी करते। अब वे सीसीटीवी लगाने का काम करते हैं।

 

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