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संस्कार भारती के संस्थापक अध्यक्ष पदम श्री योगेंद्र दादा पंच तत्व में विलीन

‘संस्कार भारती’ के संस्थापक श्री योगेन्द्र जी ऐसे ही कलाकार हैं, जिन्होंने हजारों कला साधकों को एक माला में पिरोने का कठिन काम कर दिखाया है।

संस्कार भारती के संस्थापक अध्यक्ष पदम श्री योगेंद्र दादा पंच तत्व में विलीन
आगरा - कला की साधना अत्यन्त कठिन है। वर्षों के अभ्यास एवं परिश्रम से कोई कला सिद्ध होती है; पर कलाकारों को बटोरना उससे भी अधिक कठिन है, क्योंकि हर कलाकार के अपने नखरे रहते हैं। ‘संस्कार भारती’ के संस्थापक श्री योगेन्द्र जी ऐसे ही कलाकार हैं, जिन्होंने हजारों कला साधकों को एक माला में पिरोने का कठिन काम कर दिखाया है। 

7 जनवरी, 1924 को बस्ती, उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध वकील बाबू विजय बहादुर श्रीवास्तव के घर जन्मे योगेन्द्र जी के सिर से दो वर्ष की अवस्था में ही माँ का साया उठ गया। फिर उन्हें पड़ोस के एक परिवार में बेच दिया गया। इसके पीछे यह मान्यता थी कि इससे बच्चा दीर्घायु होगा। उस पड़ोसी माँ ने ही अगले दस साल तक उन्हें पाला। 

वकील साहब कांग्रेस और आर्यसमाज से जुड़े थे। जब मोहल्ले में संघ की शाखा लगने लगी, तो उन्होंने योगेन्द्र को भी वहाँ जाने के लिए कहा। छात्र जीवन में उनका सम्पर्क गोरखपुर में संघ के प्रचारक नानाजी देशमुख से हुआ। योगेन्द्र जी यद्यपि सायं शाखा में जाते थे; पर नानाजी प्रतिदिन प्रातः उन्हें जगाने आते थे, जिससे वे पढ़ सकें। 

एक बार तो तेज बुखार की स्थिति में नानाजी उन्हें कन्धे पर लादकर डेढ़ कि.मी. पैदल चलकर पडरौना गये और उनका इलाज कराया। इसका प्रभाव योगेन्द्र जी पर इतना पड़ा कि उन्होंने शिक्षा पूर्ण कर स्वयं को संघ कार्य के लिए ही समर्पित करने का निश्चय कर लिया।

योगेन्द्र जी ने 1942 में लखनऊ में प्रथम वर्ष ‘संघ शिक्षा वर्ग’ का प्रशिक्षण लिया। 1945 में वे प्रचारक बने और गोरखपुर, प्रयाग, बरेली, बदायूँ, सीतापुर आदि स्थानों पर संघ कार्य किया; पर उनके मन में एक सुप्त कलाकार सदा मचलता रहता था। देश-विभाजन के समय उन्होंने एक प्रदर्शिनी बनायी। जिसने भी इसे देखा, वह अपनी आँखें पोेंछने को मजबूर हो गया। 

फिर तो ऐसी प्रदर्शिनियों का सिलसिला चल पड़ा। शिवाजी, धर्म गंगा, जनता की पुकार, जलता कश्मीर, संकट में गोमाता, 1857 के स्वाधीनता संग्राम की अमर गाथा, विदेशी षड्यन्त्र, माँ की पुकार...आदि ने संवेदनशील मनों को झकझोर दिया। ‘भारत की विश्व को देन’ नामक प्रदर्शिनी को विदेशों में भी प्रशंसा मिली।

संघ नेतृत्व ने योगेन्द्र जी की इस प्रतिभा को देखकर 1981 ई0 में ‘संस्कार भारती’ नामक संगठन का निर्माण कर उसका कार्यभार उन्हें सौंप केंद्र आगरा तय कर दिया गया था।  योगेन्द्र जी के अथक परिश्रम से यह आज कलाकारों की अग्रणी संस्था बन गयी है। अब तो इसकी शाखाएँ विश्व के अनेक देशों में स्थापित हो चुकी हैं। 

योगेन्द्र जी शुरू से ही बड़े कलाकारों के चक्कर में नहीं पड़े। उन्होंने नये लोगों को मंच दिया और धीरे-धीरे वे ही बड़े कलाकार बन गये। इस प्रकार उन्होंने हजारों कलाकारों की नयी सेना तैयार कर दी। और नाट्य मंचन के कलाकारों का भी निर्माण किया।

योगेन्द्र जी की सरलता एवं अहंकारशून्यता उनकी बड़ी विशेषता है। किसी प्रदर्शिनी के निर्माण में वे आज भी एक साधारण मजदूर की तरह काम में जुट जाते हैं। जब अपनी खनकदार आवाज में वे किसी कार्यक्रम का ‘आँखों देखा हाल’ सुनाते हैं, तो लगता है, मानो आकाशवाणी से कोई बोल रहा है। उनका हस्तलेख मोतियों जैसा है। इसीलिए उनके पत्रों को लोग संभालकर रखते हैं। 
पूज्य बाबाजी 9 मई को गोरखपुर प्रवास के दौरान अस्वस्थ हो गए , उनको तत्काल मेदांता हॉस्पिटल लखनऊ में भर्ती कराया गया । लगभग 1 महीने चले उपचार के दौरान हजारों कार्यकर्ताओं ने आपके दर्शन किये । 

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की इकाई संस्कार भारती के संस्थापक 99 वर्षीय बाबा योगेन्द्र का शुक्रवार को लखनऊ में निधन हो गया। उनके निधन की सूचना पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में शोक की लहर फैल गई है।
पद्मश्री बाबा योगेन्द्र का लखनऊ के डा राममनेहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में शुक्रवार को निधन हो गया। संस्कार भारती के संस्थापक पदमश्री बाबा योगेन्द ने निर्जला एकादशी के दिन अंतिम सांस ली। 99 वर्षीय बाबा योगेन्द्र को 11 मई को गोरखपुर में हार्ट अटैक के बाद 12 मई को मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद 27 मई को बेहतर इलाज के लिए बाबा योगेन्द्र को राम मनोहर लोहिया अस्पताल में लाया गया। इसके बाद यहां दस जून शुक्रवार को सुबह आठ बजे उन्होंने प्राण त्यागे। बाबा के न रहने की खबर से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में शोक की लहर दौड़ गई।
शुभ दिवस निर्जला एकादशी - 10 जून 2022 (शुक्रवार) को प्रातः 08 बजे , राममनोहर लोहिया अस्पताल लखनऊ में आप पंचतत्व में विलीन हुए,आपका अंतिम संस्कार लखनऊ में हुआ बड़ी संख्या में संघ विचार परिवार के लोगो ने आपके अंतिम दर्शन किए, जिनमें 
सह सरकार्यवाह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ डॉ कृष्ण गोपाल, प्रचार प्रमुख सुरेश, क्षेत्र प्रचारक अनिल, प्रांत प्रचारक कौशल, संस्कार भारतीय के  अखिल भारतीय अध्यक्ष वासुदेव कामद, सूचना आयुक्त सुभाष चंद्र सिंह, महापौर संयुक्ता भाटिया, सिंधी एकेडमी के उपाध्यक्ष नानक चंद लखमानी, बाबा के भतीजे सत्य प्रकाश श्रीवास्तव, संस्कार भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री अभिजीत गोखले, संस्कार भारती के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य बांके लाल, अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी, लोकगायिका पद्म श्री मालिनी अवस्थी, भातखंडे विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डॉ पूर्णिमा पांडे, राज्य ललित कला अकादमी के अध्यक्ष सीताराम कश्यप, केंद्रीय ललित कला अकादमी के क्षेत्रीय सचिव डॉ देवेंद्र त्रिपाठी समेत बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
 आगरा में भी शोक व्यक्त किया
कला ऋषि पदम श्री योगेंद्र दादा के निधन पर शोक व्यक्त करने वालों में  विभाग संघ चालक भवेंद्र जी,शिवेंद्र जी, प्रांत अभिलेख प्रमुख मानवेंद्र भारत, विभाग प्रचारक मनमोहन निरंकारी,के के भारद्वाज, आदि प्रमुख रहे।

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