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साल 2019: हिंदी साहित्य में इन 10 किताबों का रहा जलवा, रही सबसे ज्यादा लोकप्रिय और चर्चित

इन किताबों के चयन के आधार के बारे में लेखक और संपादक प्रभात रंजन ने कहा, 'इन पुस्तकों के चयन के आधारों में एक आधार लोकप्रियता रही. इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखा गया कि किन किताबों की चर्चा अधिक हुई.

नई दिल्ली: 

बीते साल 2019 में हिंदी साहित्य में सभी विधाओं की किताबों का प्रकाशन और लोकार्पण हुआ. इनमें कहानी और कविता संग्रहों से लेकर उपन्यास और विमर्श तक की किताबें रही. इन्हीं किताबे में से हमने 10 बेहतरीन किताबों का चयन किया है. इन किताबों के चयन के आधार के बारे में लेखक और संपादक प्रभात रंजन ने कहा, 'इन पुस्तकों के चयन के आधारों में एक आधार लोकप्रियता रही. कुमार विश्वास का कविता संग्रह घोषित रूप से हिंदी की इस साल सबसे अधिक बिकने वाली किताब रही. इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखा कि किन किताबों की चर्चा अधिक हुई. साल भर किन किताबों की सोशल मीडिया पर चर्चा हुई, समीक्षाएं प्रकाशित हुई, लेकिन ज़ाहिर है कि हज़ारों किताबों में कुछ किताबों को ही चुना जा सकता था. इसलिए एक आधार यह भी रहा कि किताबें अलग-अलग विधाओं की हों, जैसे इस साल हिंदी में कम से कम चार जीवनियां ऐसी आई, जो हिंदी के लिए नई बात रही. इसलिए इस विधा को भी रेखांकित किया जाना ज़रूरी था. अनुवाद हिंदी की बहुत लोकप्रिय विधा है इसलिए उसकी उपेक्षा भी नहीं की जा सकती थी. इसी तरह अगर किसी युवा लेखक या लेखिका ने बहुत अलग सा गद्य लिखा इस बात का भी ध्यान रखा गया कि उसको रेखांकित किया जाए.'  चयनित किताबों का क्रम इस प्रकार है:

 

1. बोलना ही है

NDTV के सीनियर रवीश कुमार की यह किताब ‘बोलना ही है' इस बात पर विमर्श करती है कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किस-किस रूप में बाधित हुई है. एक आजाद देश में परस्पर संवाद और सार्थक बहस की गुंजाइश कैसे कम हुई है? साथ देश में नफ़रत और असहिष्णुता को कैसे बढ़ावा मिला है? कैसे जनता के चुने हुए प्रतिनिधि, मीडिया और अन्य संस्थान एक मजबूत लोकतंत्र के रूप में हमें विफल कर रहे हैं? इन सभी सवालों के बीच घटटोप अंधेरे से घिरे हमारे लोकतंत्र में यह किताब किसी रोशनी की तरह है जो इन तमाम विपरीत परिस्थितयों से उबरने की राह खोजती है. यह किताब हमारे वर्तमान समय का वह दस्तावेज है जो स्वस्थ लोकतंत्र के हर हिमायती के लिए संग्रहणीय है. देश के हर जागरूक नागरिक को इस किताब को जरूर पढ़ना चाहिए. इसके साथ ही बता दें, हिंदी में आने से पहले ही यह किताब अंग्रेजी, मराठी और कन्नड़ में प्रकाशित हो चुकी है.

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