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अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर युवा अधिवक्ता संघ आगरा मंडल  ने किया विचार गोष्ठी का आयोजन 

क्या है भारतीय कानून व्यवस्था चुप रहने का अधिकार? क्या है आईसीपीआर का अनुच्छेद 6(1) क्या है आईसीपीआर के अनुच्छेद 7 ?

आगरा - 10 दिसंबर अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर युवा अधिवक्ता संघ आगरा मंडल के द्वारा संघ के दीवानी स्थित आगरा मंडल कार्यालय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका विषय मानवाधिकारों की रक्षा कैसे हो रखा गया एवं मानव अधिकारों के हनन एवं रक्षा में पुलिस के महत्व पर चर्चा हुई।  विचार गोष्ठी में मुख्य वक्ता मानव अधिकार कार्यकर्ता युवा अधिवक्ता संघ के मंडल अध्यक्ष नितिन वर्मा ने विचार रखते हुए कहा कि मानव अधिकारों का क्षेत्र बहुत व्यापक है हर क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यक्ति के लिए मानव अधिकारों को परिभाषित किया गया है चाहे वह मजदूरी हो वन्य क्षेत्र में रहने वाली जनता हो महिलाओं के कार्य करने का समूह हो शारीरिक रूप से समर्थ दिव्यांग जनों का समूह बाल अधिकार हो या पुलिस के  अत्याचार के विरुद्ध अधिकारों को समझने एवं उनका प्रचार प्रसार करने की अधिवक्ता समाज को आवश्यकता है ।  
यहां पर सबसे महत्वपूर्ण भूमिका पुलिस की आती है पुलिस को परिभाषित करते हुए मानव अधिकार में लिखा गया है की पुलिस शब्द को ना तो आपराधिक प्रक्रिया संहिता में कहीं बताया गया है ना ही किसी अन्य कानून में पुलिस राज्य पुलिस अधिनियम 1881 में परिभाषित है एक ऐसा सरकारी विभाग जिस पर सार्वजनिक व्यवस्था को विकृत करने सार्वजनिक सुरक्षा को बढ़ावा देने और अपराध का पता लगाने और विकृत करने का आरोप है।
सर्वप्रथम इंग्लैंड में 1820 के दशक में पुलिस बल अस्तित्व में आया जब सर रॉबर्ट पल ने पुलिस बल्कि नगर पालिका में स्थापना की।
पुलिस बल के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताएं।
मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के अनुसार संयुक्त राष्ट्र चार्टर का महत्वपूर्ण उद्देश्य मानव अधिकारों एवं मौलिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देना और प्रोत्साहित करना है जिसमें आर्थिक सामाजिक संस्कृत अधिकारों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध नागरिक और राजनीतिक अधिकारों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मिलित किया गया है।
उधर का अनुच्छेद 3 किसी भी व्यक्ति के जीवन की स्वतंत्रता और सुरक्षा का अधिकार है क्या मिला है। 
क्या है आईसीपीआर का अनुच्छेद 6(1)
प्रत्येक मनुष्य को यह अधिकार है की है उसका जीवन कानून द्वारा संरक्षित एवं अंतर निहित किया जाएगा किसी को भी मनमाने ढंग से उसके जीवन से वंचित नहीं किया जा सकता।
क्या है आईसीपीआर के अनुच्छेद 7 ?
किसी भी व्यक्ति को मनमाने ढंग से गिरफ्तार या हिरासत में न लेने का अधिकार दिया गया है किसी भी मनुष्य की आंतरिक स्वतंत्रता से उसे वंचित नहीं किया जा सकता जो कि कानून एवं विधि द्वारा स्थापित है।
किसी के अंतर्गत अदालतों के समक्ष निष्पक्ष सुनवाई और समानता के अधिकार की भी गारंटी दी गई है।
हिरासत में मृत्यु- पुलिस की दमनकारी नीतियों जैसे लाठी चार्ज एवं अन्य को कानूनी रूप से बाध्य करते हुए मानव अधिकारों में परिभाषित किया गया है।
माननीय न्यायालय द्वारा व्याख्या किए गए मानव अधिकार।
चुप रहने का अधिकार भारतीय कानून व्यवस्था में मुकदमे की कार्रवाई की प्रतिकूल प्रणाली का पालन करना बताया गया है पैरा नंबर 19। इसमें किसी भी व्यक्ति को तब तक निर्दोष माना जाता है जब तक की अदालत के समक्ष उसका अपराध साबित ना हो जाए।
चुप रहने के अधिकार को भारतीय संविधान के तहत स्पष्ट रूप प्रदान नहीं किया गया है माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद20(3) के अंतर्गत मौन रहने के अधिकार की व्याख्या की है एमपी शर्मा बनाम सतीश चंद्र 1992। 
युवा अधिवक्ता संघ के महासचिव मनीष अग्रवाल जोली ने अनुच्छेद 20 एवं 21 की व्याख्या करते हुए बताया कि यह एक गारंटी सुधा संवैधानिक अधिकार है इसकी व्याख्या अब्दुल रहमान अंत बोले के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से पुष्टि करते हुए बताया कि यह तुरंत सुनवाई का अभिन्न अंग है इसीलिए पुलिस द्वारा किसी भी शिकायत की जांच प्रक्रिया में देरी करना संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है क्योंकि पुलिस टॉयलेट कार्रवाई या सुनवाई नहीं करती तो इसे संवैधानिक अधिकार का उद्देश्य ही अर्थहीन हो जाएगा विचार गोष्ठी में धन्यवाद ज्ञापन संरक्षक द्वय सुनील शर्मा एवं उमेश कुमार वर्मा द्वारा दिया गया इसके उपरांत राष्ट्रीय लोक अदालत में आए हुए वादकारियों मानव अधिकार जागरूकता एवं संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों को परिभाषित करने वाली बुकलेट संयुक्त रूप से जारी की। 

इस अवसर पर संघ के संरक्षक सुनील शर्मा उमेश कुमार वर्मा मंडल अध्यक्ष नितिन वर्मा महासचिव मनीष अग्रवाल जोली अधिवक्ता सहयोग समिति के महासचिव कृपाल सिंह वर्मा, रविंद्र लवानिया, योगेंद्र प्रताप, शांति स्वरूप शर्मा, अनिल नोहर, अरुण सक्सेना, दिलीप बघेल, भावना कुमारी, ममता सोनी, कौशल कुमार, वीरेंद्र पाल सिंह, देवेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे। 

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