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नेटकान 2022 में टीबी और सांस संबंधी बीमारियों पर हुई चर्चा

आगरा: भारत में 40 प्रतिशत लोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस टीबी के बैक्टीरिया से संक्रमित हैं, जैसे ही प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है टीबी के लक्षण आने लगते हैं।

हर वर्ष टीबी से 4.90 लाख मौत हो रही हैं, इसे 90 प्रतिशत तक कम करना है और 95 प्रतिशत तक टीबी के संक्रमण को कम करने की चुनौती है। एस एन मेडिकल कॉलेज, ट्यूबरक्लोसिस एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा डिपार्टमेंट ऑफ ट्यूबरक्लोसिस एंड रेस्पीरेटरी डिजीज,  व यूपी टीबी एसोसिएशन एंड द यूनियन साउथ ईस्ट एशिया रीजन के सहयोग से आयोजित तीन दिवसीय नेटकॉन-2022 के तीसरे दिन बुधवार  को होटल जेपी पैलेस में टीबी मुक्त भारत अभियान पर चर्चा की गई। इसके साथ ही तीन दिवसीय कांफ्रेंस का समापन हो गया। 
डां सुनील अहपड़े, मुंबई ने बताया कि एक्सटेंसिवली ड्रग रजिस्टेंट टीबी के केस सबसे ज्यादा भारत में हैं। टीबी से भारत में हर वर्ष 4.90 लाा मौत हो रही हैं। टीबी के मामले में विश्व का 28 प्रतिशत भार भारत पर है। भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा टीबी मुक्त भारत अभियान अहम है, 2025 तक इस लक्ष्य तक पहुंचना है। इसमें निजी चिकित्सकों की भागेदारी बढ़ानी है अभी भी 50 प्रतिशत टीबी के मरीज निजी चिकित्सकों पर इलाज करा रहे हैं। एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ प्रशांत गुप्ता ने बताया ने बताया कि टीबी का एसएन मेडिकल कॉलेज में (सरकारी) इलाज निशुल्क  हैl भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा टीवी मुक्त अभियान एसएन मेडिकल कॉलेज में प्रमुख रूप से चलाया जा रहा है ताकि जल्द ही इस लक्ष्य को प्राप्त कर सकेl

महिलाओं में फेंफड़ों के कैंसर में 60 प्रतिशत इजाफा 
फेंफड़ों के कैंसर को टीबी समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है। डा. केवी गुप्ता ईश मेडिकल कॉलेज लखनऊ ने बताया कि चेहरे पर सूजन, गले की आवाज बैठना, कांख और गर्दन में गांठ, कफ के साथ खून आना फेंफड़ों के कैंसर का लक्षण है, पहले यह पुरुषों में ज्यादा मिलता था लेकिन अब महिलाओं में भी मिलने लगा है, पिछले कुछ वर्षों में 60 प्रतिशत महिलाओं के फेंफड़ों के कैंसर में इजाफा हुआ है। महिलाएं चूल्हे पर रोटी बनाती हैं इसलिए भी यह समस्या बढ़ी है। अस्थमा में दवाओं के बजाय इन्हेलर ज्यादा कारगर 
पटियाला मेडिकल कालेज की डा. क्रांति गर्ग ने बताया कि बच्चों में अस्थमा बढ़ रहा है लेकिन उनके माता पिता इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं। बच्चों को अस्थमा की दवा नहीं मिल रही हैं इससे बीमारी बढ़ने लगी है। बच्चों में अस्थमा बढ़ने का एक बड़ा कारण बाहर धूल मिटटी में न खेलना है, इससे उनके अंदर सूक्ष्मण कणों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं हो रही है। बच्चों में अस्थमा की समस्या होने पर इन्हेलर से इलाज किया जाता है और इसके 
रिजल्ट अच्छे हैं, बीमारी ठीक भी हो जाती है।

 

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