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दशहरा से जुड़ी 10 रोचक बातें  - जानते है-सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्राजी से 

यह बुरे आचरण पर अच्छे आचरण की जीत की ख़ुशी में मनाया जाने वाला त्यौहार है। सामान्यतः दशहरा एक जीत के जश्न के रूप में मनाया जाने वाला त्यौहार है। और भी जुडी हुई बाते हैं -

पहला: वराह पुराण में बताया गया है कि जेष्ठ शुक्ल दशमी के दिन बुधवार को हस्त नक्षत्र में समस्त नदियों में श्रेष्ठ नदी गंगा स्वर्ग से इस पृथ्वी पर अवतरित हुई थी ,इसीलिए इस तिथि को दशहरा कहते हैं । 

दूसरा:  इसी दिन १० सर वाले रावण का हनन भगवान राम ने किया था इसलिए भी इसका नाम दसहरा पड़ा। 

तीसरा: विजयदशमी की ही तिथि को देवराज इंद्र ने महा दानव वृत्तासुर का वध किया था। 

चौथा: पांडवों ने भी विजयदशमी के दिन ही द्रोपदी का वर्णन किया था। 

पांचवा: महाभारत का युद्ध भी विजयदशमी को ही आरंभ हुआ था। 

छठा: ज्योतिष में जब हम मुहूर्त काल की बात करते हैं तो उसमें एक विजय मुहूर्त होती है अश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी को तारा उदय होता है और इसी समय को विजय मुहूर्त भी कहते हैं।  इसीलिए इस त्यौहार का नाम विजयदशमी पड़ा। 

सांतवा: भगवान राम ने भगवती विद्या की पूजा की थी, रावण से युद्ध करने से पहले और वह इसी दिन की थी इसीलिए भी इस त्यौहार को विजयदशमी का त्यौहार कहते हैं। 

आंठवा: रावण दहन के बाद लोग एक दूसरे को शमी की स्वर्ण पत्ती देकर गले मिलते हैं और एक दूसरे को बधाई देते हैं।  स्वर्ण पत्ती देने के पीछे यह मान्यता है कि रावण वध के बाद लंका के नए राजा विभीषण ने वहां का सारा सोना प्रजा में बांट दिया था और शमी से जुड़ी रोचक बात यह है कि शमी एक ऐसा पेड़ है जिसमे अग्नि प्रचुर मात्रा में विधमान है और हवन में और आग जलने में इस पेड़ की लकड़ी इस्तेमाल में आती है।  

नौवा: अर्जुन ने अपने अज्ञातवास के दौरान अस्त्र-शस्त्र शमी के पेड़ पर ही छुपा रखा था और इसी दिन उसने वहां से सब को उतारा था और युद्ध के लिए युद्ध भूमि में प्रस्थान किए थे। 

दसवा: राम जी ने भी रावण का वध करने से पहले शमी की आराधना की थी इसीलिए विजयदशमी के दिन शमी की आराधना होनी चाहिए।


लेखक -

सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल 
इंटरनेशनल वास्तु अकडेमी 
सिटी प्रेजिडेंट कोलकाता 
यूट्यूब वास्तुसुमित्रा 
 

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